दुनियाभर में सांपों की कुल 3000 प्रजातियां हैं। इनमें 300 प्रजातियां केवल भारत में हैं। वहीं 300 में 200 प्रजातियां जहरीली हैं। इनके काटने से व्यक्ति की मौत हो सकती है या व्यक्ति बुरी तरह घायल हो सकता है। भारत में सर्प दंश से अधिक मौत होती है। आज विश्व सांप दिवस है। यह हर साल 16 जुलाई को एकसाथ दुनियाभर में मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य सांपों के प्रति लोगों को जागरूक करना और सांप से संबंधित भ्रांतियों को दूर करना है। इसे पहली बार कब मनाया गया है। इस विषय को लेकर जानकारों में मतभेद है। कुछ जानकारों का कहना है कि साल 1970 में पहली बार विश्व सांप दिवस मनाया गया था। तब से यह हर साल 16 जुलाई को मनाया जाता है।
भारत में सनातन धर्म को मानने वाले लोग सांपों की पूजा करते हैं। खासकर, नाग सांप को देवता की उपाधि गई गई है। भगवान शिव के गले में नाग देवता को स्थान प्राप्त है। आसान शब्दों में कहें तो भगवान शिव का गला नाग देवता का निवास स्थान है। इसके लिए सांप की विशेष पूजा की जाती है। इस मौके पर सांप को दूध और धान का लावा खाने को दिया जाता है। सावन के महीने में नाग पंचमी के अवसर पर नाग देवता की धूमधाम से पूजा-उपासना की जाती है। भारत के कई हिस्सों में 17 जुलाई को नाग पंचमी मनाई जाएगी। वहीं, देशभर में नाग पंचमी 2 अगस्त को मनाई जाएगी। आइए, विश्व सांप दिवस के बारे में संक्षेप में सबकुछ जानते हैं-
विश्व सर्प दिवस का इतिहास
जैसा कि हम सब जानते हैं कि विश्व सर्प दिवस मनाने को लेकर जानकारों में मतभेद है, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि साल 1967 में संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिणी प्रान्त टेक्सास में सांपों की एक फर्म शुरू हुई, जो बहुत कम समय में बेहद पॉपुलर हो गई और साल 1970 में पहली बार विश्व सर्प दिवस मनाया गया।
वहीं, 300 में 200 प्रजातियां जहरीली हैं। इनके काटने से व्यक्ति की मौत हो सकती है या व्यक्ति बुरी तरह घायल हो सकता है। भारत में सर्प दंश से अधिक मौत होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सर्प दंश यानी सांप काटने से भारत में सबसे अधिक मौत होती हैं।
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