मगही और भोजपुरी पर CM हेमंत सोरेन के विवादास्पद बयान के बाद BJP ने पलटवार किया है। ‌BJP के भवनाथपुर से विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा है कि झारखंड में जाति, संप्रदाय और भाषा का बीज बो कर राजनीति करना चाह रहे हैं हेमंत सोरेन। उन्होंने आरोप लगाया है कि हिंदू का विरोध करते-करते हिन्दी के विरोध पर पहुंच गए हैं।

प्रदेश कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा कि पंथ मजहब के आधार पर भाषा को बांटना उचित नहीं है। उन्होंने कहा  कि मगही भोजपुरी भाषा से नफरत और पाकिस्तानी भाषा उर्दू से प्यार कैसा है, यह मुख्यमंत्री जी स्पष्ट करें। 

CM ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मगही-भोजपुरी झारखंड के लिए बॉरोड लैंग्वेज है। जो लोग भोजपुरी, मगही बोलते हैं वे सभी डॉमिनेटिंग पर्सन हैं। आंदोलनकारियों की छाती पर पैर रख, महिलाओं की इज्जत लूटते वक्त भोजपुरी में ही गाली दी जाती थी। इन बोलियों के माध्यम से झारखंड का बिहारीकरण नहीं होने देंगे।

बलात्कारियों की लिस्ट दें CM: BJP

CM से माफी मांगने की मांग करते हुए प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में भानु प्रताप शाही ने कहा है कि भोजपुरी और मगही बोलने वाले बलात्कारी हैं तो मुख्यमंत्री कितने लोगों पर कार्रवाई कर रहे हैं। CM लिस्ट जारी कर दें। एक भाषा को बोलने वाले सारे लोग बलात्कारी कैसे हो सकते हैं? वह सभी को बलात्कारी बता कर अपनी मानसिकता और सोच को प्रदर्शित कर रहे हैं। वे अब बोली के नाम पर तुष्टिकरण कर रहे हैं। नमाज से शुरू हुआ उनका रास्ता कफन पर जाकर खत्म होगा।

उन्होंने कहा कि हेमन्त सोरेन नमाज नीति के तहत धर्म से धर्म और अब भाषा को भाषा से लड़ाना चाहते हैं। भाजपा इसकी घोर निंदा करती है। यह नियोजन नीति के अंदर तुष्टिकरण है। भाषा के आधार पर बलात्कारी, दुष्कर्मी बताना असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि नियोजन नीति में मैथली, अंगिका, भोजपुरी व मगही को तुष्टिकरण के तहत हटा दिया गया। मुख्यमंत्री ने हिंदी का अपमान करने का कार्य किया है।

जनजातीय भाषा की पढ़ाई की वस्तु स्थिति को लेकर विस् में सत्र के दौरान झामुमो के विधायक सीता सोरेन ने प्रश्न किया था, जिसपर सरकार ने जवाब दिया था कि जनजातीय भाषा की पढ़ाई की योजना तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में सिर्फ और सिर्फ उर्दू पढ़ने वाले युवाओं को रोजगार दिए जाने की नीति है। इससे अन्य क्षेत्रीय भाषा पढ़ने वाले लोगों को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। यह सीधे सीधे तुष्टिकरण की नीति को परिभाषित कर रहा है। साथ ही तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में आदिवासी मूलवासी को बाहर रखने की तैयारी है।

श्री शाही ने कहा कि एक भाषा बोलने वाले को बलात्कारी कहना मुख्यमंत्री के तुष्टिकरण की नीति को दर्शाता है। हेमन्त सोरेन ने झारखंड के जनजातीय, आदिवासी, मूलवासी, हिंदीवासी के भावनाओं को आहत किया है। उन्होंने पूछा कि मुख्यमंत्री जी बताएं आपके विधायक मिथलेश ठाकुर, सुदिव्य कुमार, कांग्रेस के उमाशंकर अकेला, अम्बा प्रसाद, कुमार जयमंगल, बन्ना गुप्ता, पूर्णिमा नीरज सिंह, बदल पत्रलेख, दीपिका पांडेय जी के बारे क्या ख्याल रखते हैं, जो मगही भोजपुरी जैसे क्षेत्रीय भाषा का प्रयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषा बोलने वाले भी झारखंड की लड़ाई लड़े हैं। उन्होंने कहा कि 1993 में नरसिम्हा सरकार में झारखंड आंदोलन बेचने वालों की सरकार है। हेमन्त सोरेन वैसे दलों के साथ सरकार चला रहे हैं जो झारखंड आंदोलन का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि हेमन्त सोरेन हिन्दू का विरोध करते करते हिंदी के विरोध में उतर आए हैं, हेमन्त सोरेन प्रदेश की जनता से माफी मांगे।

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