22 जनवरी को अयोध्या में जय श्रीराम के उद्घोष के बीच मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अपने दिव्य बाल स्वरूप में नए मंदिर में विराजमान हो गए. इस कारण पूरा देश उत्सवी माहौल में रहा.उसी तरह का उत्सवी माहौल पटना समेत बिहार के अस्पतालों के ऑपरेशन थियेटरों में भी रहा. राजधानी पटना में 500 से भी ज्यादा बच्चों ने इस दुनिया में कदम रखा. अकेले डॉक्टर सारिका राय के अस्पताल में जय श्रीराम के जयकारे के बीच 34 बच्चों की किलकारियां गूंजी. जिनके घरों में राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के दिन बच्चों का जन्म हुआ, वह परिजन काफी खुश हैं.
डॉ. सारिका राय ने बताया कि पूर्व में ही कई महिलाओं ने 22 जनवरी को डिलीवरी करवाने को लेकर आग्रह किया था. जिनका डेट 22 जनवरी के थोड़ा आगे पीछे था और जिनकी स्थिति ठीक थी, उनका डिलीवरी हमने 22 जनवरी के दिन ही किया. ऐसे करीब 37 डिलीवरी मेरे द्वारा किया गया. डॉ. सारिका ने बताया कि लगभग सभी डिलीवरी नार्मल हुए हैं और सभी बच्चे स्वस्थ हैं. उन्होंने बताया कि ज्यादातर महिलाएं 22 जनवरी को ही डिलीवरी करवाना करवाना चाहती थी.
कुछ ऐसा ही नजारा अन्य अस्पतालों का भी नजर आया. 22 जनवरी को ही डिलीवरी करवाने को लेकर अलग-अलग नर्सिंग होम में डॉक्टर भी व्यस्त रहे. आईजीआईएमएस, पीएमसीएच, एनएमसीएच समेत कई प्राइवेट नर्सिंग होम और अस्पतालों में भी डिलीवरी हुई है. बता दें कि माता-पिता बनने जा रहे कई दंपत्तियों ने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन 22 जनवरी को प्रसव कराने का चिकित्सकों से अनुरोध किया था. जबकि उनके प्रसव की ‘निर्धारित’ तिथि इस तारीख के पहले या बाद की थी.
गर्भवती महिलाओं के साथ उनके परिजनों को लगता है कि 22 जनवरी का दिन काफी शुभ है. इसीलिए वे चाहते थे कि उनके घर का नया सदस्य शुभ घड़ी में ही इस दुनिया में आए. 22 जनवरी की डिलीवरी के लिए गर्भवती महिलाएं ऑपरेशन तक कराने को तैयार दिखीं. बता दें कि 500 सालों के लंबे इंतजार के बाद अयोध्या राम मंदिर रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस क्षण को अलौकिक बताया तो वहीं दूसरी ओर देशभर में इस पल का गवाह बनने के लिए आतुरता देखी गई.