सीवान में एक कॉलेज का तुकलगी फरमान काफी चर्चाओं में है. मामला शहर के जेडए इस्लामिया पीजी कॉलेज का है. जहां के प्राचार्य इदरीस आलम ने फरमान जारी करते हुए कहा है कि कॉलेज कैंपस में अगर एक साथ छात्र-छात्राएं बैठे या हंसी-मजाक करते दिखे तो उनका नामांकन रद्द कर दिया जाएगा. इस नोटिस को कॉलेज प्रशासन द्वारा 3 अक्टूबर को जारी किया,जो की अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है और लोग तरह तरह की चर्चा कर रहे हैं. इस पत्र को ऐसे समय पर जारी किया गया है. जब कुछ दिन पहले ही किसी बात को लेकर इसी कॉलेज की दो लड़कियां क्लासरूम और सड़क पर जमकर मारपीट की थी
.आशंका जताई जा रही है कि इसी को लेकर कॉलेज के प्राचार्य ने इस तरह का फरमान जारी किया है. इस पत्र में साफ लिखा हुआ है कि अगर छात्र और छात्राओं को एक साथ बैठे हंसी मजाक करते महाविद्यालय परिसर में देखा जाएगा तो उनके नामांकन को रद्द कर दिया जाएगा. बता दें कि धारा 29 व 30 के अंतर्गत स्थापित यह एक अल्पसंख्यक महाविद्यालय है. इसके सारे प्रबंधन का अधिकार शासी निकाय में निहित है. इस मामले पर कॉलेज के इंचार्ज इकबाल जावेद ने बताया की कॉलेज कैंपस में लड़के और लड़कियां एक साथ बैठते हैं तो न्यूसेंस का माहौल क्रिएट (बाधा उत्पन्न) होता है. जिस वजह से इस तरह का पत्र जारी किया गया है.
उन्होंने कहा कि यह कॉलेज मुस्लिम माइनॉरिटी कॉलेज है, इस का भी ख्याल रखा जा रहा है. कॉलेज में जिन छात्राओं ने मारपीट की थी, उसके ऊपर भी कार्रवाई करने की प्रक्रिया चल रही है. बहरहाल, अब ये सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या अल्पसंख्यक के नाम पर इस तरह का पत्र जारी कर कॉलेज क्या कहना चाहता है और इस्लामिया पीजी कॉलेज पत्र में अल्पसंख्यक शब्द का इस्तेमाल कर क्या जताना चाहता है?