इस साल 03 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू होगी। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और जौ बोने का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि उगे हुए ज्वारे जीवन के बारे में कई शुभ-अशुभ संकेत देते हैं।
शारदीय नवरात्रि शुरू होने पर बस कुछ ही दिन बचे हैं। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल 03 अक्टूबर 2024 से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होगी। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और जौ-ज्वार बोना बेहद शुभ माना गया है। नवरात्रि में कलश स्थापना और मिट्टी के बर्तन में जौ बोने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जौ को ब्रह्माजी का रूप माना जाता है। नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को मां दुर्गा की पूजा शुरू करने से पहले जौ में जल अर्पित किया जाता है। और उसे कलश में स्थापित किया जाता है। देवी भगवती की कृपा पाने के लिए जौ को बोना महत्वपूर्ण माना गया है। नवरात्रि में उगने वाले ज्वार कई संकेत भी देते हैं। आइए जानते हैं ज्वारे से मिलने वाले शुभ-अशुभ संकेत और नवरात्रि के बाद इनका क्या करना चाहिए?
ज्वारे से मिलने वाले शुभ-अशुभ संकेत
मान्यता है कि अगर जौ का रंग ऊपर आधा हरा और नीचे आधा पीला हो,तो इसका मतलब आने वाला साल आधा समय मुश्किल-भरा हो सकता है, लेकिन बाद में परिस्थितियां सामान्य हो जाएंगे।वहीं,यदि जौ का रंग ऊपर आधा पीला और नीचे आधा रह जाए, तो यह साल की शुरुआत शुभ और बाद के समय में चुनौतियों के आगमन का संकेत हो सकता है।
अगर जौ सफेद या हरे रंग में उग रहा हो, तो यह अति शुभ संकेत माना जाता है। इससे आपकी पूजा सफल मानी जाती है।
वहीं, जौ अगर सुखी और पीली होकर झरने लगे, तो यह अच्छा संकेत नहीं माना जाता है। ऐसे में देवी भगवती से कष्टों के निवारण के लिए विधि-विधान से पूजा करना चाहिए।
नवरात्रि के बाद उगे हुए ज्वारे का क्या करें?
नवरात्रि के समापन के बाद ज्वारे को मिट्टी के बर्तन से बाहर निकालें। इसमे से कुछ ज्वारे को घर के मंदिर में रखें।
कुछ ज्वारों को घर के तिजोरी में रख सकते हैं। घर के सभी लोग अपने पर्स में एक या दो ज्वारे रख सकते हैं।
इसके बाद बचे हुए ज्वारे को बहती हुई नदी में प्रवाहित कर दें।