जानते हैं कैसे लगता है ब्रह्म हत्या का दोष? जानें इसका प्रभाव और उपाय

ज्योतिष शास्त्र की मानें तो मानव के जीवन में कई तरह के योग बनते हैं तो वहीं कई दोष भी बनते हैं जिसकी वजह से मानव का जीवन तबाह भी हो जाता है. ऐसे में कई दोष तो ऐसे हैं जो पूर्वजों के समय से चलकर जातक की कुंडली तक पहुंचते हैं और वह जातक की परेशानी को बढ़ाते चले जाते हैं. ऐसा ही एक दोष है ब्रह्म हत्या का दोष जो जातक की कुंडली में हो तो इसे बेहद अशुभ माना जाता है. इस दोष की वजह से जातक का जीवन दुःखों से भर जाता है.

आपको बता दें कि इस दोष के लगने के पीछे की वजह ब्राह्मण की हत्या है. प्रभु श्री राम को भी रावण की हत्या की वजह से यह दोष लगा था. ऐसे में प्रभु श्री राम ने रामेश्वर में इस दोष से मुक्ति के लिए शिव की पूजा की थी. वैसे आपको बता दें कि वर्ण परंपरा के अनुसार सनातन धर्म में ब्राह्मणों से सर्वोपरि बताया गया है. यह जाति पर नहीं पूर्णतः कर्म पर आधारित है. ऐसे में ब्राह्मणों को जो शास्त्र, धर्म के ज्ञाता होंगे उन्हें ही इस वर्ण में माना गया है और इसे ब्रह्मा से जोड़कर देखा गया है. ऐसे में वेदों की मानें तो ब्रह्मा का अंश ब्राह्मण हैं. ऐसे में पूर्व जन्म से भी इसका कनेक्शन जोड़ा गया है. वहीं ब्रह्म हत्या केवल इस जीवन का नहीं प्रारब्ध के जीवन यानी पिछले जीवन में भी की गई हत्या की वजह से लगता है. ऐसे में इस दोष के प्रभाव से जातक का जीवन नकारात्मकता से भर जाता है. साथ ही करियर में भी तरक्की की संभावना समाप्त हो जाती है, मन निराशा के भाव से भरा रहता है.




किसी जातक की कुंडली में ब्रह्म हत्या का दोष दिखे तो संतान प्राप्ति में भी बाधा आती है. ऐसे जातक जीवन भर आर्थिक परेशानियों से जूझते हैं, जातक के पास धन टिकता नहीं है. वहीं ब्रह्म हत्या के दोष की वजह से पारिवारिक कलह भी बनी रहती है. ऐसे जातक अज्ञानी होते हैं और उनमें ज्ञान का सर्वथा अभाव होता है. वहीं ऐसे जातकों का स्वास्थ्य समस्याओं से भी गुजरना पड़ता है. 

ऐसे में अगर कुंडली में ब्रह्म हत्या का दोष दिख रहा हो तो ऐसे में ग्रह दोषों की शांति के साथ ब्रह्म देव की पूजा अनिवार्य रूप से करवाना चाहिए. इसके साथ ही ब्राह्मणों की सेवा, उनके लिए कपड़े, भोजन सामग्री इत्यादि दान स्वरूप देना चाहिए. इस दौरान ब्राह्मणों को दक्षिणा भी देनी चाहिए. साथ ही उनके पैर छूकर इस दोष की माफी भी मांगनी चाहिए. वहीं प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाछ और साथ ही भगवान विष्णु की पूजा के साथ विष्णु स्त्रोत का भी पाठ करना चाहिए.  

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