आज शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन हैं. नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की विधि विधान से पूजा की जाती है. मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है. मां कूष्मांडा के आठ हाथों में धनुष, बाण, कमल, अमृत पूर्ण कलश, कमण्डल, चक्र, गदा और आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला हैं. अपनी हल्की हंसी से ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण मां का नाम कूष्मांडा पड़ा है. मां कूष्मांडा की पूजा करने से असाध्य से असाध्य रोगों से मुक्ति और अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
मां कूष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिंगला ज्वालामुखी निराली।
शाकंभरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो मां अंबे॥
तेरे दर्शन को मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥