दिवाली पर क्यों जलाए जाते हैं आटे के दीये

दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान राम अपना 14 साल का वनवास समाप्त करके अयोध्या वापस लौटे थे जिसकी खुशी में अयोध्या वासियों ने घी के दीये जलाए थे जब दिवाली इतने करीब है तो ऐसे में इस त्योहार के बारे में बहुत कुछ जानने की जरूरत है। सनातन धर्म में दिवाली का बेहद महत्व है। इसे दीपावली के रूप में भी जाना जाता है। यह खुशी का उत्सव लगभग पांच दिनों तक चलता है। दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन, भगवान राम अपना 14 साल का वनवास समाप्त करके अयोध्या वापस लौटे थे, जिसकी खुशी में अयोध्या वासियों ने घी के दीये जलाए थे, जब दिवाली इतने करीब है, तो ऐसे में इस त्योहार के बारे में बहुत कुछ जानने की जरूरत है। तो आइए जानते हैं आखिर क्यों छोटी दिवाली पर आटे का दीया जलाया जाता है?

आटे का दीया

छोटी दिवाली के दिन आटे का दीया जलाना बेहद शुभ माना गया है। इस दिन यमदेव की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि अगर यम देव के लिए आटे का दीया जलाया जाए, तो इससे नरक से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही यम देवता की नजर कभी भी आपके परिवार पर नहीं पड़ती है। ऐसे में हर किसी को यह दिया अपने घर में अवश्य जलाना चाहिए। इस दीया को जलाने के बाद घर के कोने-कोने में घुमाएं। इसके बाद इसे दक्षिण दिशा में रख दें। क्योंकि यह दिशा यम देव की मानी गई है।

दिवाली का महत्व
दीपावली सनातन धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। दीपावली अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक भी मानी गई है। यह रोशनी का त्योहार पूरे देश में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस शुभ दिन पर धन की देवी की पूजा बहुत भक्ति और समर्पण के साथ की जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर आती हैं और अपने भक्तों को सुख- समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

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