दीपों का त्योहार दिवाली की शुरुआत धनतेरस के दिन से हो जाती है। इस साल धनतेरस 10 नवंबर को मनाया जा रहा है। धनतेर पर मां लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरी भगवान की पूजा की जाती है। इस दिन लोग सोना, चांदी, धनिया, बर्तन जैसे कई चीजें खरीदते हैं। धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने की भी परंपरा है। दरअसल धनतेरस क्यों मनाया जाता है पहले इस सवाल का जवाब जान लें, कहा जाता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि का अवतरण हुआ था, इसलिए इसे धनतेरस कहा जाता है। इन्हें आयुर्वेद के जनक भी कहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि भगवान धन्वन्तरि समुद्र मंथन के समय प्रकट हुए जिनके हाथ में अमृतलश था, एक हाथ में आयुर्वेद ग्रंथ, दूसरे में औषधि कलश, तीसरे में जड़ी बूटी और चौथे में शंख था।
इसलिए धनतेरस के दिन धन्वंतरि भगवान की पूजा की जाती है, इसके अलावा धन की देवी मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर जी की भी पूजा करने का विधान है।धनतेरस के दिन झाड़ू भी खरीदने की परंपरा है। दरअसल झाड़ू को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। गलती से झाड़ू पर पैर लग जाए तो इसे प्रणाम कर पैर छुए जाते हैं। दरअसल झाड़ू से आपका घर साफ रहता है और मां लक्ष्मी साफ घर में ही विराजती हैं। यह भी कहा जाता है कि धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से साल भर घर में बरकत बनी रहती है।
कई जगह लोग झाड़ू को घर में छुपाकर रखते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिस तरह हम लक्ष्मी जी यानी अपने गहनों और रुपए को घर में छुपाकर दूसरों की नजरों से दूर रखते हैं, उसी प्रकार झाड़ू को भी हर किसी की नजरों से दूर घर में छुपाकर रखना चाहिए। यही नहीं धनतरेस पर झाड़ू की पूजा की जाती है। धनतेरस पर सभी घर में मौजूद रहें और घर को बंद न करें। घर को खाली भी न छोड़े। नीचे कुछ झूठन गिर जाए तो झाडू की बजाय हाथों से इसे साफ करें, झाड़ू का इस्तेमाल न करें। झाड़ू को बेड के नीचे रखने से बचें। टूटी हुई झाड़ू घर में न रखें। झाड़ू पुरानी हो जाए तो इसे कहीं बाहर रखवा दें, लेकिन घर में खराब झाड़ू न रखें।